संसार में दो प्रकार के वृक्ष हैं.....प्रथम.. अपना फल अपने आप दे देते हैं-उदाहरण.. आम, अमरुद, केला इत्यादि....
द्वितीय..अपना फल छिपाकर रखते हैं-उदाहरण...आलू, अदरक, प्याज इत्यादि....
जो अपना फल अपने आप दे देते हैं...उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं किन्तु
जो अपना फल छिपाकर रखते है..
. वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं.....ठीक इसी प्रकार......जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में. समाज के उत्थान में लगा देते हैं.....
उनका सभी ध्यान रखते हैं अर्थात् मान-सम्मान देते है....
वही दूसरी ओर जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं....किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है ...
वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं......
अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है...प्रथम प्रकार के व्यक्तित्व को स्वयं में समाहित करे..
Aum
द्वितीय..अपना फल छिपाकर रखते हैं-उदाहरण...आलू, अदरक, प्याज इत्यादि....
जो अपना फल अपने आप दे देते हैं...उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं किन्तु
जो अपना फल छिपाकर रखते है..
. वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं.....ठीक इसी प्रकार......जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में. समाज के उत्थान में लगा देते हैं.....
उनका सभी ध्यान रखते हैं अर्थात् मान-सम्मान देते है....
वही दूसरी ओर जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं....किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है ...
वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं......
अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है...प्रथम प्रकार के व्यक्तित्व को स्वयं में समाहित करे..
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